ऋषिकेश. क्या अब गढ़वाल में भी लोक वाद्य हुड़का फिर से हिट होने वाला है? लगता तो ऐसा ही है. ऋषिकेश की जनसभा में सीएम धामी ने पीएम मोदी को हुड़का भेंट किया और प्रधानमंत्री मोदी ने मंच पर हुड़का बजाया.
माहौल चुनावी है लेकिन लोक कलाकार सिर्फ अपने लोक की कला देखता है. ये अलहदा है कि डॉ अजय ढोंडियाल उत्तराखंड के लोक कलाकार भी हैँ और पत्रकार भी.
पहले ढोंडियाल के बारे में बताना इसलिए ठीक होगा क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी से ज़्यादा लोग उनको नहीं जानते. डॉ अजय पत्रकारिता में एक जाना पहचाना नाम पिछले तीन दशक से तो हैँ लेकिन लोक कला में उससे पहले से हैँ. डॉ अजय उत्तराखंड के प्रसिद्ध जानकवि और गीतकार गायक स्वर्गीय हीरा सिंह राना जी के चेले रहे हैँ. उनका लोक कला और लोक साहित्य से आगाध जुडाव उनकी आवाज में दीखता है जो हू ब हू राणा जी से मेल खाती है. ये उनकी आगाध लोक धर्मिता का प्रतीक है. डॉ अजय ने कई लोक गीत गाये हैँ जो बहुत प्रचलित हुए हैँ.
हम सिर्फ उनके हुड़का वादन की बात कर रहे थे. करीब एक हफ्ते पहले उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट पर हुड़का बजा कर पोस्ट लिखा था जिसका निष्कर्ष ये था कि हुड़का गढ़वाल से लगभग लुप्त हो चुका है, इसको मैं बजा कर जीवंत करना चाहता हूं. उन्होंने ये भी लिखा था कि हमारे कुमाऊं अंचल में आज भी हुड़का प्रचलित है. आज पीएम मोदी ने ऋषिकेश की रैली में मंच से हुड़का बजाया. डॉ अजय कहते हैँ कि अब गढ़वाल में हुड़का दुबारा प्रचलित हो जाय शायद जैसे पहाड़ी टोपी देश में प्रचलित हुयी. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पता नहीं मोदी जी ने ऋषिकेश की रैली में पहाड़ी टोपी क्यों नहीं पहनी.
इस विषय पर मैंने खुद डॉ अजय से बात की तो उन्होंने कहा कि चंद्र सिंह रही जी के बाद आज गढ़वाल में सिर्फ लोक गायक डॉ प्रीतम भारतवाण ही हुड़के के साथ दीखते हैँ. ये बात अलग है कि हमारे सभी संगीत के साथी हुड़का बजाते हैँ लेकिन गायक इसको कंधे में डालना क्यों नहीं जानते आज?